तुलसी जितनी पवित्र उतनी
ही स्वास्थ रक्षक
तुलसी की जड़ का काढा ज्वर (बुखार ) नाशक है तुलसी ,
अदरक
और मुलैठी को
घोटकर शहद के साथ लेने से सर्दी के
बुखार में आराम मिलता है
सिर का भारी
होना, पीनस , माथे का दर्द , आधा शीशी मिरगी, नासिका रोग, कृमि रोग तुलसी
से दूर होते है
तुलसी कफ, वात, विष विकार , श्वास खांसी और दुर्गन्ध नाशक है तथा कफ और
वायु को नष्ट करती है
श्वास रोगो में तुलसी के पत्ते काले नमक के साथ
सुपारी की तरह मुंह में रखने से आराम मिलता है
तुलसी की हरी पत्तियों को आग पर सेककर नमक के साथ खाने
से खांसी तथा गला बैठना ठीक हो जाता है
खांसी जुकाम में तुलसी के पत्ते , अदरक और काली मिर्च से तैयार की हुई चाय पीने से लाभ पहुचता
है
तुलसी दमा या टीबी में अत्यंत लाभकारी है तुलसी के
नियमित सेवन से दमा या टीबी नहीं होती है
तुलसी व अदरक का रस एक एक चम्मच, शहद एक चम्मच , मुलेठी का चूर्ण एक चम्मच मिलाकर सुबह शाम चांटे यह खांसी
की अचुक दवा है
तुलसी सौंठ के साथ सेवन करने से लगातार आने वाला
बुखार ठीक हो जाता है
औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल होता है
जिससे त्वचा के रोगो में लाभ होता है
दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में तुलसी अर्क लगाने से कुछ ही
दिनों में रोग दूर हो जाता है
कुष्ठ रोग या कोढ़ में तुलसी की पत्तिया रामबाण है खाए
तथा इसका रस प्रभावित स्थान पर मेल भी
सिर के दर्द में प्रात काल और शाम को एक चौथाई चम्मच भर तुलसी के
पत्तो का रस, एक चम्मच शुद्ध
शहद के साथ नित्य लेने से 15 दिनों में रोग
ठीक हो सकता है
तुलसी गुर्दे को मजबूत करती है किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर
बना तुलसी अर्क शहद के साथ नियमित सेवन
करने से पथरी में रहत मिलती है
जाड़ो में तुलसी के दस पत्ते, पांच काली मिर्च और चार बादाम गिरी पीसकर आधा गिलास पानी
में एक चम्मच शहद के साथ लेने से ह्रदय रोग में आराम मिलता है
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